संसार में सबसे ज्यादा पशुधन भारत में है जो पारंपरिक प्रणाली से पाले जाते हैं। इस प्रणाली में नाईट्रोजन का उत्सर्जन अधिक होता है। मवेशियों के खुले में घूमने व उनके अपशिष्ट को सही ढंग से इकट्ठा न करने से काफी मात्रा में नाईट्रोजन पैदा होती है।
 
पशुधन दुनिया में सबसे अधिक मीथेन गैस छोड़ता है। यह ग्रीन हाउस गैसों की अधिकता के लिए जिम्मेदार है।
 
किसान जिस तरह जानवर पालते हैं उससे हवा की गुणवत्ता खराब होती है। खाद के घोल को इकटठा करके ढके हुए गड्ढे में रखने से गैस नहीं उड़ेगी। पशु आहार में बदलाव, कम मात्रा में उर्वरक का प्रयोग व फसल चक्र अपनाने से हवा की गुणवत्ता सुधर सकती है।
 
मुर्गियां पालने वाली ब्रायसर सुविधा पंद्रह टन वार्षिक से ज्यादा अमोनिया गैस छोड़ती है। इससे श्वसन तंत्र, त्वचा व आंखों में जलन हो सकती है। इसके कारण रासायनिक वर्षा व नाइट्रोजन जमा होने से प्राकृतिक परिस्थिति तंत्र व फसलों का नुक्सान होता है जो हानिकारक है।

India has the largest number of livestock in the world which are reared in the traditional system. Nitrogen emissions are high in this system. A large amount of nitrogen is produced due to cattle roaming in the open and not collecting their waste properly.

Livestock emits the most methane gas in the world. It is responsible for excess greenhouse gases.

The way farmers raise animals worsens the air quality. By collecting the manure solution and keeping it in a covered pit, the gas will not evaporate. change in animal diet, using less quantity of fertilizers and adopting crop rotation can improve air quality.

The Bryser facility that raises chickens releases more than fifteen tons of ammonia gas annually. This may cause irritation to the respiratory system, skin and eyes. Due to this, chemical rain and accumulation of nitrogen causes damage to the natural ecosystem and crops, which is harmful.

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